Zaalima Lyrics – Arijit Singh, Harshdeep Kaur
जो तेरी खातिर तडपे पेहले से ही
क्या उसे तडपाना ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा
जो तेरे इश्क में बेहका पेहले से ही
क्या उसे बेहकाना ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा
आँखें मरहबा बातें मरहबा
मैं सौ मर्तबा दीवाना हुआ
मेरा ना रहा जब से दिल मेरा
तेरे हुस्न का निशाना हुआ
जिसकी हर धड़कन तू हो
ऐसे दिल को क्या धडकना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा
इत्र्र तू घोल दे घोल दे
मैं ही क्यूँ इश्क ज़ाहिर करूँ
तू भी कभी बोल दे बोल दे
लेके जान ही जाएगा मेरी
क़ातिल हर तेरा बहाना हुआ
तुझसे ही शुरु
तुझपे ही ख़तम
मेरे प्यार का फ़साना हुआ
तू शम्मा है तो याद रखना
मैं भी हूँ परवाना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा
दीदार तेरा मिलने के बाद ही
छूटे मेरी अंगड़ाई
तू ही बता दे क्यूँ जालिम मैं केहलाई.
Jo teri khatir tadpe pehle se hi
Kya usey tadpana o zaalima o zaalima
Jo tere ishq mein behka pehle se hi
Kya usey behkana o zaalima o zaalima
Aankhen marhaba baatein marhaba
Main sau martaba deewana huaa
Mera na raha jab se dil mera
Tere husn ka nishana hua
Jiski har dhadkan tu ho
Aise dil ko kya dhadkana
O zaalima o zalima
Saanson mein teri nazdeeqiyon ka
Itrr tu ghol de ghol de
Main hi kyun ishq zaahir karun
Tu bhi kabhi bol de bol de
Leke jaan hi jaayega meri
Qaatil har tera bahaana hua
Tujhpe hi khatam
Mere pyaar ka fasaana hua
Tu shamma hai toh yaad rakhna
Main bhi hoon parwaana
O zaalima o zaalima
Deedaar tera milne ke baad hi
Chhoote meri angdaayi
Tu hi bata de kyun zaalima main kehlayi.