Yeh Kismat Hain Kya Lyrics – Mohammed Aziz
हर दुआ एक बद्दुआ क्यों
क्यों बन गयी पल में यहाँ
बेवफा किस्मत भी
उठ गया सर से हाथ माँ
यह किस्मत है क्या जानते हैं वहीँ
ज़माने में हैं जिसकी क़िस्मत बुरी
आदमी खुद को इनसे बना न सके
अपनी किस्मत नायेगा क्या आदमी
यह किस्मत हैं क्या जानते हैं वहीँ
ज़माने में हैं जिसकी क़िस्मत बुरी
यह किस्मत हैं करती अजब फैसले
यहाँ मिलके सब कुछ भी कुछ न मिले
भटकती है यु दर बदर ज़िन्दगी
के मरके भी इनसे मर न सके
यह किस्मत हैं क्या जानते हैं वहीँ
ज़माने में हैं जिसकी क़िस्मत बुरी
एक ठोकर लगी टुटा सारा नशा
अब जाना कहा कुछ नहीं है पता
लेक किस्मत ने छोड़ा है किस मोड़ पर
जो मुसाफिर था खुद बन गया रिश्ता
यह किस्मत हैं क्या जानता है वही
ज़माने में हैं जिसकी क़िस्मत बुरी
आदमी खुद को इनसे बना न सके
अपनी किस्मत बनायेगा क्या आदमी.
Har dua ek baddua kyu
Kyun ban gayi pal mein yaha
Bewafa kismat bhi
Uth gaya sar se hath ma
Yeh kismat hai kya janta hain wahin
Zamane mein hain jiski kismat boori
Aadmi khud ko insa bana na saka
Apni kismat nayega kya aadmi
Yeh kismat hain kya janta hain wahin
Zamane mein hain jiski kismat boori
Yeh kismat hain karti ajab faisle
Yaha milke sab kuch bhi kuch na mile
Bhatkti hai yu dar badar zindagi
Ke marke bhi insa mar na sake
Yeh kismat hain kya janta hain wahin
Zamane mein hain jiski kismat boori
Ek thokar lagi tuta sara nasha
Ab jana kaha kuch nahi hai pata
Lake kismat ne chhoda hai kis mod par
Jo musafir tha khud ban gaya rashta
Yeh kismat hain kya janta hai wahi
Zamane mein hain jiski kismat boori
Aadmi khud ko insa bana na saka
Apni kismat bnayega kya aadmi.