Shamma Bujhne Ko Chali Lyrics – Mohammed Rafi
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली
है यही दर्द की जल जाये
पतंगा न कहीं
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली
चाहनेवाला तोह रहे
उसने चाहा की मेरा
चाहनेवाला तोह रहे
मैं रहूँ या न रहूँ
घर का उजाला तोह रहे
अपने प्रीतम के लिए
छोड़ दी प्रीतम की गली
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली
भुलाकर सबको बस इक
अपनी वफ़ा साथ लिए
भुलाकर सबको बस इक
अपनी वफ़ा साथ लिए
अपने ही अश्कों में
भीगी हुयी इक रात लिए
गम के तूफान में घिरी
ठोकरें खाती निकली
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली
अपने बेगाने छूटे
लख्ते जिगर टूट गया
अपने बेगाने छूटे
लख्ते जिगर टूट गया
गम के शोलो में छुपी
ऐसी के घर टूट गया
डुबने आयी पानी मैं
नशिबो की जाली
शम्मा बुझने को चली.
Shamma bujhne ko chali
Shamma bujhne ko chali
Shamma bujhne ko chali
Hai yahee dard kee jal jaye
Patanga na kahee
Shamma bujhne ko chali
Shamma bujhne ko chali
Usane chaha kee mera
Chahanewala toh rahe
Usane chaha kee mera
Chahanewala toh rahe
Main rahu ya na rahu
Ghar ka ujala toh rahe
Apne pritam ke liye
Chhod dee pritam kee galee
Shamma bujhne ko chali
Shamma bujhne ko chali
Bhulakar sabako bas ik
Apnee wafa saath liye
Bhulakar sabako bas ik
Apnee wafa saath liye
Apne hee ashkon mein
Bhigee huyee ik raat liye
Gum ke tufan mein ghiree
Thokare khatee nikalee
Shamma bujhne ko chali
Shamma bujhne ko chali
Upane begane chuute
Lakhte jigar tut gaya
Upane begane chuute
Lakhte jigar tut gaya
Gum ke sholo main chhupi
Aisi ke ghar tut gaya
Dubane aayai pani main
Nashibo ki jali
Shamma bujhne ko chali.