Nayi Manzil Nayi Rahe Lyrics – Hemanta Kumar Mukhopadhyay, Lata Mangeshkar
Nayi manzil nayi rahe
Naya hai meharba apna
Na jane jake thahrega
Kaha ye karwa apna
Na chamkegi kaha bijli
Na aayega jah tufan
Banayenge usi dali par
Jaake apna aashiya
Bharosha hai mukaddar
Par tumhara bhi sahara hai
Kahi dusman na ban
Jaye ye jalim aasma apna
Nayi manzil nayi rahe
Naya hai meharba apna
Na jane jake thahrega
Ye karwa apna
Dikhayenge hame ye
Chand tare rah manzil ki
Dikhayenge hame ye
Chand tare rah manzil ki
Banate ho agar dusman
To ho sara jaha apna
Nayi manzil nayi rahe
Naya hai meharba apna
Na jane jake thahrega
Kaha ye karwa apna.
नयी मंज़िल नयी राहे
नया है मेहरबा अपना
न जाने जाके ठहरेगा
कहा ये करवा अपना
न चमकेगी कहा बिजली
न आएगा जह तूफान
बनाएंगे उसी डाली पर
जाके अपना आशिया
भरोषा है मुकद्दर
पर तुम्हारा भी सहारा है
कही दुसमन न बन
जाये ये जालिम आस्मा अपना
नयी मंज़िल नयी रहे
नया है मेहरबा अपना
न जाने जाके ठहरेगा
ये करवा अपना
दिखाएंगे हमें ये
चाँद टारे राह मंजिल की
दिखाएंगे हमें ये
चाँद टारे राह मंजिल की
बनाते हो अगर दुसमन
तो हो सारा जहां अपना
नयी मंज़िल नयी रहे
नया है मेहरबा अपना
न जाने जाके ठहरेगा
कहा ये करवा अपना.