Kalank Title Lyrics – Rishabh Srivastava
Hazaaron mein kisi ko
Taqdeer aisi
Mili hai ik ranjha
Aur heer jaisi
Na jaane ye zamaana
Kyun chaahe re mitaana
Kalank nahi ishq hai kaajal piya
O kalank nahi ishq hai kaajal piya
Ho jinko woh jaane ye jog hai
Ik tarfa shayad ho dil ka bharam
Do tarfa hai toh ye sanjog hai
Layi re humein zindgani kis mod pe
Huve re khud se paraaye naina jod ke
Jo tere na huye tu kisi ke na rhenge
Na jaane ye zamaana
Kyun chaahe re mitaana
Kalank nahi ishq hai kaajal piya
O kalank nahi ishq hai kaajal piya.
हजारों में किसी को
तक़दीर ऐसी
मिली है इक रांझा
और हीर जैसी
क्यूँ चाहे रे मिटाना
कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया
ओ कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया
दुनिया की नज़रों में ये रोग है
हो जिनको वो जाने ये रोग है
इक तरफा शायद हो दिल का भरम
दो तरफा है तो ये संजोग है
लायी रे हुमें ज़िंदगानी किस मोड पे
हुवे रे खुदा से पराये नैना जोड़ के
जो तेरे ना हुए तू किसी के ना रहेंगे
ना जाने ये ज़माना
क्यूँ चाहे रे मिटाना
कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया
ओ कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया.