Kahu Kya Tumse Lyrics – Lata Mangeshkar, Mohammed Rafi
कहु क्या तुमसे अपनी दासता
तेरे दिल में जो दर्द है कह दे जाने जा
कहु क्या तुमसे अपनी दासता
तेरे दिल में जो दर्द है कह दे जाने जा
कुछ दिन पहले मै गीत गुलशन में
जैसे गाने पे खिलता था गुल्फा
मई मस्ती में यु लहराती फिरती
बहो में जैसे मतवाली बुलबुल
फिर क्या हुआ उस गुल का
उस मतवाली बुलबुल का
कहु क्या तुमसे अपनी दासता
तेरे दिल में जो दर्द है कह दे जाने जा
एक दिन गुलशन में एक सैयद आया
लेकर वो निकला मुझे बस्ती में
रंग मेरा बेचा मेरे नग्मे बेचे
लूटा जो भी था मेरी हस्ती में
किसने लूटा तेरा प्यार वो भी न बचेगा यार
कहु क्या तुमसे अपनी दासता
तेरे दिल में जो दर्द है कह दे जाने जा
मेरे जीवन का सारा रस लेकर
ज़ालिम ने फेका क्यूँ रहो में
कुचली फिरती हूँ मसलि फिरती हूँ
इसके हाथो में उसकी बाहों में
न रो और न हो उदास
तेरा मैं हूँ आ मेरे पास.
Kahu kya tumse apni daasta
Tere dil me jo dard hai kah de jane ja
Kahu kya tumse apni daasta
Tere dil me jo dard hai kah de jane ja
Kuchh din pahle mai geet gulshan me
Jaise gane pe khilta tha gulfa
Mai masti me yu lahrati firti
Baho me jaise matwali bulbul
Phir kya hua us gul ka
Us matwali bulbul ka
Kahu kya tumse apni daasta
Tere dil me jo dard hai kah de jane ja
Ek din gulshan me ek saiyad aaya
Lekar wo nikla mujhe basti me
Rang mera becha mere nagme beche
Luta jo bhi tha meri hasti me
Kisne luta tera pyar wo bhi na bachega yar
Kahu kya tumse apni daasta
Tere dil me jo dard hai kah de jane ja
Mere jiwan ka sara ras lekar
Zaalim ne feka kyun raho me
Kuchli firti hu masli firti hu
Iske hatho me uski baho me
Na ro aur na ho udaas
Tera mai hu aa mere paas.