Shikayat Lyrics – Ved Sharma
क्यूं तू मेरा हुआ ही नहीं
कुछ लम्हों की मांगी थी मोहलत
क्यूं तू मेरा हुआ ही नहीं
हाँ मैं मांगू इज़ाज़त
हाँ करके बगावत
तू मेरा हुआ ही नहीं
मैं ने मांगि थी तुझसे वो साँसें
जिनमे बसती है साँसें मेरी
बस खुदा से है इतनी शिकायत
क्यूं तू मेरा हुआ ही नहीं
मुझे अगर तेरी याद आये
कैसे किसे हम बताएं,
जी कर भी कैसे जीयूं मैं
हक मे नहीं ये हवाएँ
फ़ासले फैसलों की वज़ह थे
इश्क कामिल हुआ ही नहीं
बस खुदा से है इतनी शिकायत
क्यूं तू मेरा हुआ ही नहीं
मेरा मरज तू है दवा भी
मैं हूँ ये रातें गवा भी
जिन रास्तों पे खडा
मुजको मिला तू वहाँ भी
बस खुदा से है इतनी शिकायत
क्यूं तू मेरा हुआ ही नहीं.
Bas khuda se hai itni shikayat
Kyu tu mera hua hi nahi
Kuch lamhon ki maangi thi mohalat
Kyun tu mera hua hi nahi
Haan karke bagawat
Tu mera hua hi nahi
Maine mangi thi tujhse wo saansein
Jinme basti hai saansein merii
Bas khuda se hai itni shikayat
Kyu tu mera hua hi nahi
Mujhe agar teri yaad aaye
Kaise kise hum batayein
Jee kar bhi kaise jeeyun main
Haq mein nahi yeh hawaein
Faasle faislon ki wajah the
Ishq kaamil hua hi nahi,
Bas khuda se hai itni shikayat
Kyu tu mera hua hi nahi
Mera marz tu hai dawa bhi
Main hun ye raatein gawah bhi
Jin raaston par khada na
Mujhko mila tu wahan bhi
Bas khuda se hai itni shikayat
Kyu tu mera hua hi nahi.